मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

आरसी चौहान की कविता :ढाई अक्षर




 










ढाई अक्षर

तुम्हारी हंसी के ग्लोब पर  
लिपटी नशीली हवा से  
जान जाता हूं  
कि तुम हो  तो   
समझ जाता हूं  
कि मैं भी   
अभी जीवित हूं  
ढाई अक्षर के खोल में।




संपर्क-        आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)

                 राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल

                 उत्तराखण्ड 249121
                 मेाबा0-8858229760
                 ईमेल-chauhanarsi123@gmail.com